Tuesday, April 28, 2015

मुझ पर देशद्रोही, देश विघातक, अन्ग्रेजों का एजंट एसे आरोप लगाये जाते है.

आज मुझपर देश द्रोही, देश विघातक, अन्ग्रेजोंका एजंट एसे आरोप लगाये जाते है. और मैं देश के लिए कुछ कार्य नहीं कर रहा हु. मैं उन लोगोंसे सवाल पुछता हूँ की हजारों साल से सुधारक, दुधारक (सुवर्ण) यंहा के भोले-भाले लोंगों को राष्ट्र के नामपर अपनी जातिका पेट पलानेका कार्य किया. उन लोगों ने हमारे समाज के लिए का किया? महाड, नाशिक और अन्य स्थानों से हुए अपमानों से मुझे यकींन हो गया की स्वर्ण हिन्दू लोगोंके दिल और दिमाग पत्थर-इंटों की दीवार की तरह बेजान है. उनमे दूसरो को इन्सान समझाने की और दूसरों को बराबरी का हक्क देने की इच्छाही नहीं है. हमने पत्थरों के दीवार पर सिर पटककर माथा फोंड दिया है. अंत में खून हमारा ही जायेगा किन्तु उन विचारों और दीवारों से पत्थरीलापण नष्ट नहीं होने वाला है. सवर्णों के दिल-दिमाग से मानसिक गन्दगी दूर होने वाली नहीं है.
इसलिए इस सबंध में मेरा पूरी तरह मन परिवर्तित हुआ है. हम लोग आजतक हिन्दू देवी-देवताओं का दर्शन नहीं किया है इसलिए मरे नहीं है. आजतक हिन्दू के मंदिर में जाने वाले कुत्ते, गधे, बिल्लिया आदि जानवर इन्सान नहीं हुए लेकिन ये हमें छूना तक पसंद नहीं करते. आनेवाले समय में हम भी उन्हें छूना पसंद नहीं करेंगे. अब हम सरकारी तहसीलदारो के तंबू ताननेवाले और साफ सफाई करने वाले नहीं बनेंगें अन्य लोगों की तरह हम लोग भी राजनीतिक सत्ता लेंगे औए अपनी स्वतंत्रता स्थापित करेंगे. अब इसके बाद हम भी किसीके गुलाम नहीं रहेंगे. यह हमारा अंतिम संकल्प है. मेरे कार्य पर मेरे समाज का विश्वास है इस बात को बहोत बड़ी बात मनाता हूँ. जिस समाज में मेरा जन्म हुआ है और जिन लोगोंको जागृत करता हु उन लोगों के बिच में मुझे मरना है. उन्ही के लिए मै जीवनभर कार्य करता रहूँगा. मुझे अपने दुश्मनों की आलोचना की बिलकुल पर्वा नहीं है.
डा. बाबासाहेब अम्बेडकर - 23 मे 1932 निपानी, कर्नाटक

ब्राह्मण धर्म को जानने के लिए वर्णधर्म को जानना होगा।

ब्राह्मण धर्म को जानने के लिए वर्णधर्म को जानना होगा। आज की तारीख में बहुत बड़े पैमाने पर वर्ण धर्म प्रचलन में नहीं है। लेकिन जाति धर्म प्रचलन में है। जाति धर्म के अनुसार ब्राह्मणों ने हमें 6743 जातियों में बांटा। हर टुकड़ों की अलग पहचान बनाई। हर पहचान आपस में एक दूसरे को अलग करती है। इसका अर्थ है कि 6743 जातियों को 6743 पहचान, 6743 पहचान तो 6743 संगठन, 6743 संगठन तो समाज में विघटन ही विघटन। ब्राह्मणों ने ब्राह्मण धर्म के द्वारा जातियां बनाई और जातियों को बनाकर मूलनिवासी बहुजनों को विभाजित किया। जब हम इकट्ठा थे तो प्रतिकार करने के लायक थे। जब 6743 टुकड़े बना दिये गये तो हम लोग प्रतिकार विहीन हो गये। इस प्रकार विभाजन की वजह से ब्राह्मण हमें गुलाम बनाने में कामयाब हो गये। अर्थात जाति हमें गुलाम बनाने का मूल कारण है। यदि जाति की वजह से हम गुलाम हैं तो अपने जाति पर गर्व करना, गुलामी पर गर्व करना है। अगर इस गुलामी को समाप्त करना है तो हमें जाति नामक 6743 टुकड़ों को जोड़ना होगा। अत: 6743 जाति के लोगों को सबसे पहले जगाना होगा। जगाने के लिए जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करना होगा। -वामन मेश्राम

waman meshram.