Tuesday, February 28, 2017

आदर्श

हमारे "आदर्श" बदलते है तो, हमारे "विचार" बदलते है ।

"विचार" बदलते है तो, "सोचने का तरीका" बदल जाता है ।

"सोचने का तरीका" बदल जाता है तो, हमारी "मानसिकता" बदल जाती है ।

"मानसिकता" बदलती है तो, हमारे "तर्क" बदल जाते है ।

हमारे "तर्क" बदलते है तो, हम "सवाल जवाब" करते है ।

हम "सवाल जवाब" करते है तो, हमारे बिच "चर्चा" ए होती है ।

हमारे बिच "चर्चा" होती है तो, हमे "सही और गलत" का "ज्ञान" होता है ।

"सही और गलत" का "ज्ञान" हो जाए तो, हम आपने "हकधिकार" पाने
के लिए "विद्रोह" करते है ।

हम आपने "हकधिकार" मिलने के लिए "विद्रोह" करते है तो, हम मे "त्याग", "समर्पण", "बलिदान" करने का "जज्बा" निर्माण हो जाता है ।

"त्याग", "समर्पण", "बलिदान" करने का "जज्बा" निर्माण हो जाता है तो, हमे कोई "पराजित" नही कर सकता ।

- मा. वामन मेश्राम साहब.
(राष्ट्रिय अध्यक्ष - बामसेफ / भारत मुक्ती मोर्चा)
जय मूलनिवासी

Sunday, February 26, 2017

सामाजिक परिवर्तन का कार्य आसान नहीं है!

सामाजिक परिवर्तन का कार्य आसान नहीं है! यह एक दुःखदायी प्रक्रिया  (Painfull Process )है! जिस प्रकार यदि किसी स्त्री को संतान चाहिए तो उसे प्रसुति की वेदना सहनी पड़ेगी! इन वेदनाओ को सहे बगैर वह माँ नहीं बन सकती है! उसी प्रकार हमें सामाजिक परिवर्तन चाहिए तो हमें परिवर्तन की प्रक्रिया के कष्ट झेलने ही होंगे! इन कष्टो और मुसीबतो को सहे बगैर हम परिवर्तन नहीं ला सकते! आज के वातावरण मैं हमारे देश मे सामाजिक परिवर्तन की बात  करना आसान नहीं है! यह हिम्मत  (Guts) और साहस (Courage ) का कार्य है! जो लोग हिम्मत और साहस दिखा सकेंगे, वे ही  यह कार्य कर सकेंगे! !!!!

मा डी के खापडेॅ (संस्थापक सदस्य बामसेफ )
जागो बहुजन  !!!!जय मुलनिवासी! !!!

पढा-लिखा होना जागृत होना दोनों में अंतर है।

पढा-लिखा होना जागृत होना दोनों में अंतर है
किताबों को पढ लेने से, या डिग्रियां हासिल कर लेने से कोई जागृत नहीं कहा जा सकता, हर शिक्षित व्यक्ति जागृत ही हो, ऐसा नहीं है।
जागृति का प्रथम सिध्दांत है,
अपने दोस्त की पहचान होना।
जागृति का दूसरा सिध्दांत है,
अपने दुश्मन की पहचान होना।
जागृति का तीसरा सिध्दांत है,
अपने ताकत और कमजोरी मालूम होना।
जागृति का चौथा सिध्दांत है,
दुश्मन की ताकत और कमजोरी मालूम होना। और
जागृति का पांचवां सिध्दांत है,
अपने महापुरुषों का इतिहास मालूम होना।
यह पांच बातें अगर आपको मालूम है, और आप अनपढ़ भी हो फिर आप जागृत कहे जा सकते हो। और अगर आपको ये पांच बातें नहीं मालूम है, और आप शिक्षित भी हो फिर भी आप जागृत नहीं हो।
आप डॉक्टर, वकील, इंजीनियर, प्रोफेसर, IPS, IAS, हो सकते हो मगर आप जागृत नहीं कहे जा सकते।
शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक जागृति बहुत जरूरी है, समाज उत्धान के लिए। हमारे पढें लिखें अधिकारी कर्मचारी, PHD Holder उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति को हमारा सही इतिहास नहीं पता। पता नहीं होना यह बुरी बात नहीं है परन्तु जब पता चल जाये कि मैंने सब कुछ पढा जो लोगों ने मुझे पढाया परन्तु मुझे मेरे महापुरुषों का इतिहास नहीं पता। हमारे महापुरुषों के जीवन संघर्ष और बलिदान। जिसकी वजह से हमें शिक्षा लेने का अधिकार शिक्षा देने का अधिकार सम्पत्ति रखने का अधिकार वस्त्र धारण का अधिकार मिला अगर यह जानकारी पता चल जाये उसके बाद भी हमारा आदमी सिर्फ खाने पिनें बीबी बच्चों को पालने घर गृहस्थी जमाने सम्पत्ति इक्ढा करना ही जीवन का उद्देश्य रखता है। तो तुम्हारा तुम्हारे बच्चों का तुम्हारे जीवन का भविष्य सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे समाज का दुश्मन ही तय करेगा हो सकता है कि तुम बच जाओं परन्तु तुम्हारी आने वाली पीढ़ियों कि गुलामी के जिम्मेदार तुम खुद होगें।