हमारे "आदर्श" बदलते है तो, हमारे "विचार" बदलते है ।
"विचार" बदलते है तो, "सोचने का तरीका" बदल जाता है ।
"सोचने का तरीका" बदल जाता है तो, हमारी "मानसिकता" बदल जाती है ।
"मानसिकता" बदलती है तो, हमारे "तर्क" बदल जाते है ।
हमारे "तर्क" बदलते है तो, हम "सवाल जवाब" करते है ।
हम "सवाल जवाब" करते है तो, हमारे बिच "चर्चा" ए होती है ।
हमारे बिच "चर्चा" होती है तो, हमे "सही और गलत" का "ज्ञान" होता है ।
"सही और गलत" का "ज्ञान" हो जाए तो, हम आपने "हकधिकार" पाने
के लिए "विद्रोह" करते है ।
हम आपने "हकधिकार" मिलने के लिए "विद्रोह" करते है तो, हम मे "त्याग", "समर्पण", "बलिदान" करने का "जज्बा" निर्माण हो जाता है ।
"त्याग", "समर्पण", "बलिदान" करने का "जज्बा" निर्माण हो जाता है तो, हमे कोई "पराजित" नही कर सकता ।
- मा. वामन मेश्राम साहब.
(राष्ट्रिय अध्यक्ष - बामसेफ / भारत मुक्ती मोर्चा)
जय मूलनिवासी