
इसलिए इस सबंध में मेरा पूरी तरह मन परिवर्तित हुआ है. हम लोग आजतक हिन्दू देवी-देवताओं का दर्शन नहीं किया है इसलिए मरे नहीं है. आजतक हिन्दू के मंदिर में जाने वाले कुत्ते, गधे, बिल्लिया आदि जानवर इन्सान नहीं हुए लेकिन ये हमें छूना तक पसंद नहीं करते. आनेवाले समय में हम भी उन्हें छूना पसंद नहीं करेंगे. अब हम सरकारी तहसीलदारो के तंबू ताननेवाले और साफ सफाई करने वाले नहीं बनेंगें अन्य लोगों की तरह हम लोग भी राजनीतिक सत्ता लेंगे औए अपनी स्वतंत्रता स्थापित करेंगे. अब इसके बाद हम भी किसीके गुलाम नहीं रहेंगे. यह हमारा अंतिम संकल्प है. मेरे कार्य पर मेरे समाज का विश्वास है इस बात को बहोत बड़ी बात मनाता हूँ. जिस समाज में मेरा जन्म हुआ है और जिन लोगोंको जागृत करता हु उन लोगों के बिच में मुझे मरना है. उन्ही के लिए मै जीवनभर कार्य करता रहूँगा. मुझे अपने दुश्मनों की आलोचना की बिलकुल पर्वा नहीं है.
डा. बाबासाहेब अम्बेडकर - 23 मे 1932 निपानी, कर्नाटक