Friday, January 19, 2018

विपश्यना केंद्र आरएसएस चलाता है!!

विपश्यना केंद्र आरएसएस चलाता है!!
रामभाऊ म्हाळगी अॅकॅडमी मुंबई ,गोखले इन्स्टिट्यूट पूना और भोसला मिल्ट्री स्कुल नाशिक हे RSSचे सेंटर है ।
गोयंका के संस्था द्वारा आरएसएस लोगो को खुलकर सहयोग देना यह इस बात का सबूत है कि बनिया गोयंका डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी के बुद्ध धम्म क्रांति को रोकने के लिए ही काम करते है ।
डॉ बाबासाहब आंबेडकर जी ने 1954 में द्वितीय अंतरराष्ट्रीय परिषद में खुलकर कहा था कि अभिधम्म और समाधी यह भारत मे बुद्ध धम्म के पुनर्जीवन के लिए सबसे बड़ी बाधक है।तथागत बुद्ध ने जो सामाजिक क्रांति की ,सामाजिक उपदेश किये उसी को आधार बनाकर बौद्ध धम्म मुहमेंट चलानी पड़ेगी।"तथागत बुद्धने जो सामाजिक और विनय (शील) इसपर जो उपदेश दिया है उसी पर ज्यादा जोर देने के जरूरत है ।मुझे यह आप लोगो के नजर में यह खास बात लाकर देने की है आधुनिक बौद्ध धम्म के मानने वालों में अभिधम्म,समाधी और ध्यान पर बहुत ही जोर दिया जाता है । वही रीत भारत मे प्रस्तुत की तो वह बौद्ध धम्म के लिए बहुत ही हानिकारक सिद्ध होगी।" जब डॉ बाबासाहब आंबेडकर जी को समझ मे आ रहा था उतना बनिया गोयंका को समझ मे आ रहा था ? भारत मे बौद्ध धम्म गोयंका ने नही डॉ बाबासाहब आंबेडकर जी ने लाया है ।
फिर इसका अध्ययन भारत के ब्राम्हणो ने किया और एक बनिया गोयंका को डॉ बाबासाहब आंबेडकर जी के आंदोलन को रोक लगाने के काम पर लगा दिया ।
कांग्रेस के कार्यकाल में कुछ गद्दार लोगो को हाथ मे लेकर यह अभियान चलाया गया कि सरकारी कर्मचारियों के लिए कम्पलसरी 10 दिन की विपश्यना भेजा जाएगा । दरअसल जाति व्यवस्था और गैरबराबरी के खिलाफ विद्रोह न बढ़े इसके लिए गोयंका ने काम किया।गोयंका वही बताते है जो ब्राम्हण बुद्ध के बारे में गलत बताते है । जैसे कि सिद्धार्थ ने गृह त्याग क्यों किया ?तो उसकी वजह है , चार दृश्य देखना।दरअसल यह मिथ्या बात है यह सबूतो के आधार पर डॉ बाबासाहब आंबेडकर जी ने सिद्ध किया कि सिद्धार्थ ने प्रेत ,गरीब,बुढापा यह चीज देखी नही है यह गलत है ।जो बात डॉ बाबासाहब आंबेडकर जी ने सबूतों के आधार सिद्ध की ।बिल्कुल उसके खिलाफ मुंबई में जो पगोडा बनाया गया उसके मेन होल में गोयंका ने वही चार दृश्य के पेंटिंग करवाकर दीवारों पर लगाये ।इससे क्या सिद्ध होता है ?
गोयंका बुद्ध के और धम्म के विरोधी है।इसका और एक सबूत इस तरह है ।साधको का मासिक प्रेरणा पत्र (वर्ष 35,अंक -4)विपश्यना के 17 अक्टूबर 2005 को गोयंका ने एक आर्टिकल लिखा है जिसका शीर्षक "धर्म यात्रा के पचास वर्ष" ऐसा है।उसमें गोयंका ने जो लिखा वह सच्चे आंबेडकरवादी बौद्ध को घुस्सा दिलाएगा मगर थोड़ा दिमाग लगाओगे तो !!! गोयंका ने लिखा है -"इतना तो मैं समझ ही रहा था कि बुद्धवाणी में अनेक अच्छी शिक्षाएं विद्यमान है ,तभी यह विश्व के इतने देशों में और इतनी बड़ी संख्या में लोगो द्वारा मान्य हुई है,पूज्य हुई है ।परंतु इसमें जो कुछ अच्छा है ,वह हमारे वैदिक ग्रंथो से ही लिया गया है।" गोयंका ने लिखा है बुद्ध का अपना कुछ भी नही है बुद्ध ने तो वैदिक धर्म से ही चुराया है । अब गोयंका भक्तो को यह पढ़कर क्या महसूस होगा इसकी हम परवाह नही करते ।मगर गोयंका ने वह गलत और भद्धि बात 2005 को ही क्यों कही ?उन्होंने उस आर्टिकल को अपने धर्म यात्रा के पचास वर्ष ऐसा शीर्षक दिया था । डॉ बाबासाहब आंबेडकर के धम्म परवर्तन के 50 साल 2006 को पूरे होने वाले थे उसे काउंटर करने के लिए यह गोयंका का आर्टिकल था।डॉ बाबासाहब आंबेडकर जी के द्वारा दिया गया बुद्ध धम्म को गोयंका मिटाना चाहते थे।विपश्यना जातिवाद को और मजबूत करती है ,ब्राम्हणवाद को और मजबूत करती है। बनिया ने बुद्ध धम्म को धंदे में बदल दिया!!
गोयंका की छोटी छोटी कुछ किताबें है जो खुद उन्होंने प्रकाशित की है ।'क्या बुद्ध दुक्खवादी थे?'यह किताब सन 2000 में प्रकाशित की थी।दरअसल ब्राम्हण सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने यह आरोप लगाया था कि बुद्ध दुक्खवादी थे ,पलायनवादी थे।अब गोयंका जैसे व्यक्ति ने उसके बातो का जिक्र किया है तो उसका खण्डन भी तो करना चाहिए था।इसपर गोयंका ने जो जवाब दिया वह अपने आप सिद्ध करता है कि गोयंका बुद्ध धम्म का विरोधी है ब्राम्हणो का आरएसएस का एजंट है ।गोयंका ने जवाब दिया कि "मै नही मानता कि ,डॉ राधाकृष्णन जी ने जानभुजकर ऐसा किया।भले अनजाने में किया हो ।"गोयंका बुद्ध के वकील नही बुद्ध के दुश्मनों के वकील बने रहे जिंदगीभर!!!
इसकी राधाकृष्णन ने बड़े गर्व से कहा था (और जिंदगीभर कहता ही रहा) की हिन्दू (वैदिक)संस्कृति हजारो सालो में टिकी रही इसका कारण उसमे अच्छाई है बाकी संस्कृतिया खत्म हुई। इसपर डॉ बाबासाहब आंबेडकर जी ने एनिहिलेशन ऑफ कास्ट में जवाब दिया था कि आप कितने वर्ष जिये यह महत्वपूर्ण नही है आप कैसे जिये यह महत्वपूर्ण है ।
गोयंका के संस्था द्वारा आरएसएस के लोगो के साथ आकर काम करना यह अपने आप मे सबूत मिल गया है कि गोयंका का असली मकसद क्या था । ध्यान देने वाली बात यह है कि गोयंका ने महाराष्ट्र को ही अपना मुख्य केंद्र क्यों बनाया था ?वजह क्या थी ?डॉ बाबासाहब आंबेडकर जी के धम्म क्रांति को महाराष्ट्र में ही दबाया जा सके ताकि यह यह आंदोलन वैदिक धर्म को ही दुनिया से मिटा देगा।
आज की पोस्ट इतनी ही।इसपर वैचारिक बाते हो।इसपर चिंतन हो ।क्यों डॉ बाबासाहब आंबेडकर जी ने हमें बुद्ध धम्म दिया है ,गोयंका ने नही।गोयंका बनिया है ।और ब्राम्हण और बनिया एक हो जाते है तो वह पूरे देश को लुटते है ।
नत्थि में सरणं अयं बुद्धो में सरणं वरण।
अर्थात -बुद्ध के अलावा मुझे किसी के भी शरण मे नही जाना है ।
अतः दीप भवो।
अर्थात-स्वयम प्रकाशमान बनो,खुदका दिपक खुद बनो।
जागृति का दीपक जलाएं रखो।
जय भीम,नमो बुद्धाय।
प्रोफेसर विलास खरात,
डायरेक्टर डॉ बाबासाहेब आंबेडकर रिसर्च सेंटर,नई दिल्ली।

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