Tuesday, April 28, 2015

ब्राह्मण धर्म को जानने के लिए वर्णधर्म को जानना होगा।

ब्राह्मण धर्म को जानने के लिए वर्णधर्म को जानना होगा। आज की तारीख में बहुत बड़े पैमाने पर वर्ण धर्म प्रचलन में नहीं है। लेकिन जाति धर्म प्रचलन में है। जाति धर्म के अनुसार ब्राह्मणों ने हमें 6743 जातियों में बांटा। हर टुकड़ों की अलग पहचान बनाई। हर पहचान आपस में एक दूसरे को अलग करती है। इसका अर्थ है कि 6743 जातियों को 6743 पहचान, 6743 पहचान तो 6743 संगठन, 6743 संगठन तो समाज में विघटन ही विघटन। ब्राह्मणों ने ब्राह्मण धर्म के द्वारा जातियां बनाई और जातियों को बनाकर मूलनिवासी बहुजनों को विभाजित किया। जब हम इकट्ठा थे तो प्रतिकार करने के लायक थे। जब 6743 टुकड़े बना दिये गये तो हम लोग प्रतिकार विहीन हो गये। इस प्रकार विभाजन की वजह से ब्राह्मण हमें गुलाम बनाने में कामयाब हो गये। अर्थात जाति हमें गुलाम बनाने का मूल कारण है। यदि जाति की वजह से हम गुलाम हैं तो अपने जाति पर गर्व करना, गुलामी पर गर्व करना है। अगर इस गुलामी को समाप्त करना है तो हमें जाति नामक 6743 टुकड़ों को जोड़ना होगा। अत: 6743 जाति के लोगों को सबसे पहले जगाना होगा। जगाने के लिए जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करना होगा। -वामन मेश्राम

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