Monday, January 8, 2018

नेहरु के कहने पर बाबासहाब पर पथराव किया था.

“हमने नेहरु के कहने पर बाबासहाब पर पथराव किया था...” -भोला पासवान शास्त्री.

पंडित नेहरु ने Objective Resolution में लिखीत रुप से आश्वासन दिया था कि ओबीसी को उनके अधिकार देने के लिए जल्दही संविधान के आर्टिकल ३४० के तहत एक आयोग का गठन किया जायेगा और ओबीसी उनके संवैधानिक अधिक दिये जायेंगे. लेकिन संविधान लागु होने के देढ साल बाद भी जब नेहरु अपने आश्वासन का पालन नहीं किया तब जाकर इसके विरोध में बाबासहाब डा.आंबेडकर ने अपने कानून मंत्री पद का इस्तिफा दिया. बाबासहाब ने इस्तिफा देने के चार कारण थे, दुसरे नंबर का कारण था नेहरुद्वारा ओबीसी के लिए आयोग का गठन ना करना!

अपने मंत्री पद का इस्तिफा देने के बाद बाबासहाब ने ओबीसी को जागृत करने का एक बृहद कार्यक्रम बनाया और वे देशभर घूँमने लगे. ऐसा एक कार्यक्रम दि.६ नवंबर १९५१ को आर.एल.चंदापुरीजी के माध्यम से पटना, बिहार में लगाया था. वो मेहज एक कार्यक्रम नहीं बल्कि ओबीसी कि एक विशाल रैली थी और उस विशाल रैली को संबोधित करने के लिए आर.एल.चंदापुरीजी ने बाबासहाब डा.आंबेडकरजी को बुलाया था. यह बात रैली से पहले ही पं. नेहरु को पता चली और उसने उस रैली को विफल बनाने का षडयंत्र रचा. इसके लिए पं.नेहरु ने बाबु जगजीवन राम को काम पर लगा दिया. बाबु जगजीवन राम ने भोला पासवान शास्त्री को रैली को विफल कराने कि जिम्मेदारी दी. भोला पासवान शास्त्री ने रैली पर पथराव किया. रैली में भगदड मची, बाबासहाब को अपना भाषण अधुरा छोडना पडा. यह बात खुद भोला पासवान शास्त्री ने अपने अंतिम दिनों में कही है. वे कहते है ‘ओबीसी के मसिहा बाबासहाब जब पहली बार पटना आये थे तब मैने बाबु जगजीवन राम कहने पर बाबासहाब पर पथ्तर फेंके थे.’ इस बात का उन्हें आखरी दिनों दुख हुआ. आज उसी बाबु जगजीवन राम कि लडकी राष्ट्रपती पद के चुनाव के लिए काँग्रेस द्वारा नामांकित उमीदवार है. दलाली तो उनके खुन में ही है.

बाबासहाब कि रैली पर पथराव हुआ लेकिन तत्कालिन मीडिया ने एक लाईन कि खबर तक नहीं छापी. उन्हें ऐसा करने के आदेश नेहरु से प्राप्त हुए थे. बाबासहाब ने ओबीसी कि रैली में ऐसा क्या कहा कि पं.नेहरु ने उसे ना छापने के आदेश दिए, यह महत्वपुर्ण सवाल है.
बाबासहाब ने ओबीसी को संबोधित करते हुए कहा “नेहरु लोकतंत्र पर ब्राम्हणों का एकाधिकार करना चाहता है, इसे मै नहीं होने दूँगा. अगर पिछडे वर्ग के लोग मुझे साथ-सहयोग करते है तो मै आर-पार कि लडाई लडने के लिए तैयार हूँ।” यह बात ब्राम्हणी व्यवस्था के लिए कितनी नुकसानदायी हो सकती थी इसे नेहरु अच्छी तरह जानता था, इसलिए नेहरु ने उसे मीडिया से ब्लैक आऊट कर दिया.

आज तक ब्राम्हणों का प्रत्येक षडयंत्र ओबीसी को अज्ञान में रखने के लिए ही किया गया है. जिस दिन ओबीसी को ब्राम्हणोंद्वारा हो रहे अन्याय-अत्याचार कि जानकारी हो जायेगी उस दिन ब्राम्हणी व्यवस्था भारत में आखरी सांस लेगी.

No comments:

Post a Comment