Monday, March 20, 2017

भारत में EVMs का इस्तेमाल १९८२ से...???

*भारत में EVMs का इस्तेमाल १९८२ से...???*
भारत में EVMs १९८२ मे लाये गए। जिन्हें केरल के जिला अर्नाकुलम के परुर विधानसभा में पहली बार इस्तेमाल किया गया। उस विधानसभा में ८४ में ५० पोलिंग स्टेशन पर लोगों ने EVMs से वोट दिए।
वहाँ ए.सी.जोस ३०,३२७ वोट से जीत गए और सिवन पिल्लई केवल १२३ वोटों से हार गए। सिवन पिल्लई ने *रिप्रेसेन्टिन पीपल एक्ट (1951)* और *कंडक्ट ऑफ़ इलेक्शन रूल्स (1961)* हा हवाला देते हुए सुप्रिम कोर्ट में केस दायर किया। सुप्रिम कोर्ट ने भी इन दो कानूनों को ध्यान में रखते हुए कहा के चुनाव आयोग को कोई अधिकार नहीं के वे रिप्रेसेन्टिन पीपल एक्ट  के विरोध में चुनाव लेने का काम करें। RPA में साफ तौर पर लिखा है कि चुनाव केवल बैलेट पेपर पर ही होने चाहिए। चुनाव आयोग को सुप्रिम कोर्ट ने खरी सुनाने के बाद १९८९ में संसद में RPA कानून में बदलाव कर भारत में EVMs के इस्तेमाल को संवैधानिक करार दिया। मगर फिर भी ८ अक्टुबर २०१३ को सुप्रिम कोर्ट ने दिये फैसले के मुताबिक EVMs से मुक्त, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव नहीं हो सकते, इसलिए EVMs के साथ VVPAT मशीन लगाने के निर्देश दिये गए थे। सुप्रिम कोर्ट ने ये फैसला दिए अब ३ साल और ४ महिने हो गये है, लेकिन VVPAT सभी EVMs को नहीं लगाई गई। यदि चुनाव आयोग के पास सभी EVMs को लगाने के लिए पर्याप्त VVPAT या पैसा नहीं है तो उन्हें चाहिए के जहाँ पर भी VVPAT नहीं लगाई वहाँ बैलेट पेपर से ही चुनाव करवा ले और EVMs में होनेवाली धांधली को रोका जा सके, ताकि लोगों का चुनाव प्रक्रिया पर भरोसा बना रहे...
२०१४ लोकसभा इलेक्शन में संजस निरूपम काँग्रेस पार्टी के सांसद सदस्य थे, मुंबई मे उन्होने टीव्ही पर आकर कहाँ EVM मशीन मे गडबडी है| आसाम का जो काँग्रेस पार्टी का State Unit है वह सारे State Unit के लोगों ने ऑब्जेक्शन लिया, मगर काँग्रेस के सेंट्रल लीडरशिप ने इस बात को नजर अंदाज किया| दुसरा ओरिसा में गडबडी हुई, बंगाल में गडबडी हुई,बंगाल मे आधीरंजन चौधरी काँग्रेस पार्टी का प्रेसिडेंट  है| उसने लिखीत मैं इलेक्शन कमीशन को शिकायत दी मगर सेंट्रल लीडरशिप  जो कांग्रेस में है उसने किसी प्रकार का कोई स्टेटमेंट इशू नही किया| काँग्रेस की इतनी पिटाई हुई मगर काँग्रेस ने कभी यह नही कहाँ कि चुनाव मशीन में गडबडी होने की वजह से हमारी पिटाई हुई| काँग्रेस ने ऐसा बिल्कूल भी नही कहाँ, लेकिन काँग्रेस ने ऐसा क्यों नही कहाँ? ये सोचने वाली बात है..

सत्ता लाना होतो सारे हथकंडे अपनाने होंगे ?
उत्तरप्रदेश विधनसभा चुनाव २०१७ में ४०३ सीटों पर चुनाव आयोग के द्वरा किया गया !
मीडया में कभी बसपा की लहर, कभी बीजेपी की लहार, और कभी सपा की लहार बताया गया.
पर जैसी ही चुनाव आयोग ने ११ मार्च २०१७ का परिणाम घोषित किया,
शाम होते होते मायावतीं जी ने EVM में गड़बड़ है ऐसा विरोध किया,
साथ ही अखलेश यादव जी ने भी EVM पर विरोध जताया और राहुल गाँधी ने भी EVM के विरोध में बोले
पर इन नेताव ने खाली मुह से स्टेटमेंट दिया पर इन नेताव ने कोर्ट में जाने की जहमत नही उठाई.
ऐसा किसी भी नेता ने नही कहा EVM की जाँच हो और इस परिणाम को रद्द किया जाये
नाही किसी नेता ने कोर्ट में अपील की!

पर मैं कहता हु उत्तरप्रदेश में ४०३ सीटों पर चुनाव नही हुआ, बल्कि ३० पर चुनाव कराया गया है.
यह मैं यह दावे से कहता हु, ३७३ सीटों पर चुनाव हुआ ही नही अगर मैं गलत हु, तो चुनाव आयोग
मेरे पर कॅश दर्ज कर दे, साथ ही देश के नेता भी मुझ पर केश दर्ज कर सकते है.
२०१३ में सुप्रीमकोर्ट ने जजमेंट दिया चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी हो इसके लिए voter-verified paper audit trail (VVPAT) लगाया जाये ऐसा चुनाव आयोग को सुप्रीमकोर्ट ने आदेश दिया गया , पर चुनाव आयोग ने (VVPAT) ४०३ सीटों से
सिर्फ ३० जगह पर लगाया.
तो मैं ये कैसे मान लूँ ३७३ सीटों पर चुनाव पारदर्शी हुआ.
या ३७३ सीटों पर चुनाव हुआ ही नही है ये में दावे के साथ कहता हु !

उत्तर प्रदेश में बीजेपी मुख्यमंत्री मात्र २५ सीटों से बनाया गया है.
३७३ सीटों को चुनाव आयोग, मिडिया, और कोर्ट ने नजर कर दिया!
साथ ही उत्तर प्रदेश की जनता ने ३७३ सीटों पर वोटिंग ही नही किया है
ये भी मैं दावे से कह सकता हु.   (बीजेपी २५,सपा ४,बसपा १)

चुनाव आयोग ने २०१९ को होनेवाले आम चुनाव में सभी पोलींग बुथपर VVPAT लगाने कि घोषणा कर दी है। साथ में यह भी कहा है कि अगर कही पर मतों कि गिणती में कोई संदेह उत्पन्न होता है तो वे पेपर ट्रैल को भी गिनेंगे। इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार से ३,१७४ करोड रुपए कि मांग की है। अब सरकार कि ये जिम्मेदारी है कि वे चुनाव आयोग को मुक्त, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव करवाने के लिए पैसा मुहैया कराये। अगर केंद्र सरकार पैसा नहीं देती तो चुनाव आयोग को केंद्र सरकार की शिकायत सुप्रिम कोर्ट में करने कि पुरी छुट है, क्योंकि VVPAT लगाने का निर्णय सुप्रिम कोर्ट ने दिया है।

EVM में गड़बड़ी के आरोप पर EC का मायावती को जवाब, कहा- आरोप में कोई दम नहीं..
ऐसा कहा ECI ने!

मैं सबूत के साथ कह रहा हु ,
तो फिर ECI केंद्र सरकार से ३,१७४ करोड रुपए कि मांग क्यू की,
ECI अगर आप का जवाब है, मुक्त, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव करवाने का है,
तो उत्तर प्रदेश में ३७३ सीटों की पारदर्शी साबित करो की मुक्त, निष्पक्ष और पारदर्शी
चुनाव तुमने उत्तर प्रदेश में करवाया है...

हितेश प्रजापति

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